हुल क्रांति के नायक सिदो मांझी का इकलौता वास्तविक चित्र

सिदो , कान्हू , चाँद और भैरव चारो भाइयो ने आजादी के महासंग्राम में स्वयं को झोंक कर अंग्रेजो की गुलामी का विरोध किया था। इनके बारे में अंग्रेजी इतिहासकारो और तात्कालिक समाचार पत्रों ने भी विद्रोह की पल पल की घटनाओ की जानकारी दी। लेकिन यह बहुत ही दुर्लभ है की इनके नायको का कोई चित्र इनमे प्रस्तुत किया गया हो। लेकिन संथाल हुल के नायक सिदो मांझी का एक रेखा चित्र जरूर मिलता है। आइये उसी चित्र के बारे जानते है।

नीचे के फोटो को आप सन्थाल हुल के विषय मे कई जगह देखते होंगे । भारत सरकार ने इस पर सन्थाल हुल के संदर्भ में 2002 में डाक टिकट भी जारी किए है। इसे 1856 को इलुस्ट्रेर्ट लंदन न्यूज़ में छापा गया था। यह चित्र द इलुस्ट्रेर्ट लंदन न्यूज़ 1856 के 23 फ़रवरी के अंक के पेज नंबर 200 में छपा था। 23 फ़रवरी 1856 के इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ में संथालो से सबंधित कई जानकारिया और विद्रोह से संबंधित रेखा चित्र प्रस्तुत किये थे। ये चित्र एक अंग्रेज अधिकारी ने तब बनाया था जब वीर सिदो और अन्य संताल आंदोलनकारियों को अंग्रेजी फौज ने पकड़ कर भागलपुर जेल में डाल दिया था । वे अंग्रेज अधिकारी वाल्टर स्टैनहोप शेरविल (1815-1890) थे । वह बंगाली सेना का अधिकारी था। इसने संथाल विद्रोह पर इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ पेपर के लिए रिपोर्ट भी की थी। उन्होंने 1834 से 1861 तक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेवा सर्वेक्षक और मानचित्रकार के रूप में की और 1853 से बंगाली प्रेसीडेंसी में सीमा आयुक्त के रूप में काम किया, जो अब पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में विभाजित है। इस काम से उन्हें क्षेत्र के बारे में बहुत जानकारी मिली और वे आदिवासी आबादी के संपर्क में आए। संथाल विद्रोह के दौरान उन्होंने लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर कार्य किया। उन्होंने इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ के लिए भी काम किया। शेरविल ने संथाल विद्रोह के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में कार्य किया और क्षेत्र के बारे में जानकारी एकत्र की। उन्होंने "द इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़" के लिए भी काम किया। उन्होंने द इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ के लिए संथाल विद्रोह से संबंधित रेखाचित्र बनाए, जो उस समय के ब्रिटिश समाज को भारत के इस आदिवासी विद्रोह की स्थिति और परिस्थितियों को समझाने में सहायक रहे। उनके रेखाचित्रों ने न केवल विद्रोह के दृश्यों को चित्रित किया, बल्कि संथाल लोगों के जीवन, संस्कृति और पर्यावरण को भी दर्शाया।

वाल्टर शेरविल और उनके रेखाचित्रों की विशेषताएँ

वाल्टर शेरविल एक प्रशिक्षित सर्वेक्षक और भूवैज्ञानिक थे, जिन्होंने 19वीं सदी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए बंगाल और बिहार के क्षेत्रों में काम किया। संथाल विद्रोह (1855-56) के दौरान, उन्होंने संथाल परगना (आज का झारखंड और पश्चिम बंगाल का कुछ हिस्सा) में न केवल प्रशासनिक और सैन्य भूमिका निभाई, बल्कि एक चित्रकार के रूप में भी योगदान दिया। उनके रेखाचित्र द इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ में प्रकाशित हुए, जो उस समय ब्रिटेन का एक प्रमुख समाचार पत्र था। इन रेखाचित्रों की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

यथार्थवादी चित्रण:

शेरविल के रेखाचित्र अत्यंत विस्तृत और यथार्थवादी थे। उन्होंने संथाल विद्रोह के दृश्यों, जैसे युद्ध के मैदान, विद्रोही समूहों, और ब्रिटिश सैन्य कार्रवाइयों को जीवंत रूप में दर्शाया। उनके चित्रों में संथाल लोगों के हथियार (जैसे तीर-कमान, भाले) और उनकी रणनीतियाँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती थीं।

सांस्कृतिक और नृजातीय विवरण:

शेरविल ने संथाल समुदाय की संस्कृति, वेशभूषा, और जीवनशैली को भी अपने रेखाचित्रों में शामिल किया। उदाहरण के लिए, उनके चित्रों में संथाल पुरुषों और महिलाओं के पारंपरिक परिधान, गाँवों की संरचना, और उनके दैनिक जीवन के दृश्य देखे जा सकते हैं। यह उस समय के यूरोपीय पाठकों के लिए संथालों के बारे में एक नई समझ प्रदान करता था।

भौगोलिक परिप्रेक्ष्य:

एक सर्वेक्षक होने के नाते, शेरविल के रेखाचित्रों में भौगोलिक सटीकता थी। उन्होंने संथाल परगना के जंगल, पहाड़, और नदियों को अपने चित्रों में शामिल किया, जो विद्रोह के भौगोलिक संदर्भ को समझने में मदद करते थे। यह ब्रिटिश प्रशासन के लिए भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था।

प्रचार और दस्तावेजीकरण का मिश्रण:

द इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ के लिए बनाए गए उनके रेखाचित्र न केवल समाचार के रूप में कार्य करते थे, बल्कि ब्रिटिश साम्राज्यवादी दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देते थे। इनमें संथालों को कभी-कभी "जंगली" या "विद्रोही" के रूप में चित्रित किया गया, जो उस समय की औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। फिर भी, उनके चित्र ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में आज भी मूल्यवान हैं।

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