जीएसटी सुधार और झारखंड
वर्ष 2000 में गठित, झारखंड पूर्वी भारत का एक राज्य है जो अपने प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों, मज़बूत इस्पात और भारी इंजीनियरिंग उद्योगों, और विशाल लौह अयस्क भंडारों के लिए जाना जाता है। राज्य के 29% से अधिक भाग पर वन और वनभूमि हैं, जो भारत में सबसे अधिक है। एक आदिवासी बहुल राज्य , झारखंड की अर्थव्यवस्था को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से भी महत्वपूर्ण शक्ति मिलती है।
हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों से प्रमुख उद्योगों में दरों में उल्लेखनीय कमी आई है और झारखंड के आर्थिक परिदृश्य पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा है। लागत कम करके और सामर्थ्य में सुधार करके, ये सुधार न केवल घरेलू खपत को बढ़ावा देते हैं, बल्कि झारखंड के औद्योगिक और खनिज निर्यात की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को भी बढ़ाते हैं। इसके अतिरिक्त, ये सुधार कृषि, विनिर्माण और सेवाओं की मूल्य श्रृंखलाओं में रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा देते हैं।
हाल ही में किए गए जीएसटी सुधार
1. कर स्लैब की सरलीकरण (Rate Rationalization and Simplification)
नई स्लैब संरचना: 12% और 28% स्लैब को हटा दिया गया। अब मुख्य स्लैब 5% और 18% हैं, जबकि लग्जरी और सिन गुड्स (जैसे तंबाकू, पान मसाला, हाई-एंड कारें, यॉट्स) पर 40% की दर लागू।
उद्देश्य: कर संरचना को सरल बनाना, अनुपालन को आसान करना और कर चोरी रोकना।
प्रभाव: दैनिक आवश्यक वस्तुओं (जैसे UHT दूध, पनीर, भारतीय ब्रेड) पर जीएसटी शून्य (nil) कर दिया गया। एसी, डिशवॉशर, टीवी (LCD/LED) पर दरें कम की गईं, जिससे उपभोक्ताओं के लिए सस्ते उत्पाद उपलब्ध होंगे।
कार्यान्वयन: 22 सितंबर 2025 से, CBIC अधिसूचना के बाद। तंबाकू उत्पादों को छोड़कर सभी पर लागू।
2. प्रशासनिक और अनुपालन सुधार (Administrative and Compliance Reforms)
मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA): 1 अप्रैल 2025 से सभी जीएसटी पोर्टल पर अनिवार्य, जो डेटा सुरक्षा बढ़ाएगा।
ई-इनवॉइसिंग: वार्षिक टर्नओवर ₹10 करोड़ या अधिक वाली कंपनियों के लिए 1 अप्रैल 2025 से 30 दिनों के भीतर अनिवार्य। IRP (Invoice Registration Portal) पुराने इनवॉइस को अस्वीकार करेगा।
इनवॉइस मैनेजमेंट सिस्टम (IMS): 1 अक्टूबर 2024 से जीएसटी पोर्टल पर नया फीचर, जो इनवॉइस ट्रैकिंग को आसान बनाएगा।
सीक्वेंशियल फाइलिंग: TDS काटने वालों के लिए GSTR-7 की फाइलिंग 1 नवंबर 2024 से अनिवार्य रूप से क्रमबद्ध (बिना छूटे)।
इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) पंजीकरण: बहु-राज्य शाखाओं वाली कंपनियों के लिए 1 अप्रैल 2025 से अनिवार्य, ITC वितरण को पारदर्शी बनाएगा।
रिफंड प्रक्रिया: निर्यातकों के लिए सरलीकृत रिफंड मैकेनिज्म और तेज रिफंड, जो निर्यात को बढ़ावा देगा।
3. आरसीएम (Reverse Charge Mechanism) में बदलाव
समय आपूर्ति नियम: 1 नवंबर 2024 से RCM लेन-देन में स्व-इनवॉइसिंग और ITC दावा पर सख्त नियम। यह अनुपालन को मजबूत करेगा।
4. एमनेस्टी स्कीम और विवाद समाधान
जीएसटी वेवर स्कीम 2024: CGST Act की धारा 128A के तहत, पुराने विवादों (GST प्रारंभिक वर्षों के) के लिए क्षमा योजना।
जीएसटी अपीलीय ट्रिब्यूनल (GSTAT): दिसंबर 2025 तक संचालन शुरू, जो विवादों का तेज समाधान करेगा।
जीएसटी सुधार और झारखंड में प्रभाव
इस्पात और भारी इंजीनियरिंग: झारखंड की औद्योगिक रीढ़
झारखंड भारत के इस्पात उत्पादन का 20-25% योगदान देता है, जो इसे देश का प्रमुख औद्योगिक केंद्र बनाता है। इस क्षेत्र की प्रमुख विशेषताएं और योगदान निम्नलिखित हैं:
प्रमुख औद्योगिक केंद्र:
जमशेदपुर: टाटा स्टील का गढ़, भारत का पहला एकीकृत इस्पात संयंत्र। ऑटोमोबाइल (टाटा मोटर्स) और इंजीनियरिंग उत्पादों का केंद्र।
बोकारो: सेल-बोकारो स्टील प्लांट, एशिया का सबसे बड़ा, 12 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन।
सिंहभूम और अन्य क्षेत्र: धातु विज्ञान-आधारित आपूर्ति श्रृंखलाएं।
रोजगार और आर्थिक योगदान:
1,04,309 औपचारिक कार्यबल (2022-23, सांख्यिकी मंत्रालय)।
MSMEs और विक्रेताओं का व्यापक नेटवर्क, निर्माण और सेवा क्षेत्रों को समर्थन।
घरेलू मांग: निर्माण, बुनियादी ढांचा, ऑटोमोटिव, और पूंजीगत वस्तु उद्योग।
निर्यात: अमेरिका, चीन, जापान, नेपाल, बांग्लादेश, और यूरोप को मूल्यवर्धित इस्पात उत्पाद।
GST सुधारों का प्रभाव:
कर में कमी:
दोपहिया (350 सीसी तक) और छोटी कारें: 28% से 18%।
ट्रैक्टर (1800 सीसी से कम): 12% से 5%।
ट्रैक्टर पुर्जे: 18%/12% से 5%।
वाणिज्यिक मालवाहक वाहन: 28% से 18%।
ऑटो कंपोनेंट्स: 28% से 18%।
लागत में कमी: 7.8%-11.0%, जिससे वाहन और उपकरण किफायती, मांग में वृद्धि।
परिणाम: उत्पादन, लॉजिस्टिक्स, और फैब्रिकेशन में वृद्धि; MSMEs के लिए ऑर्डर में वृद्धि; रोजगार सृजन और विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र में मजबूती।
लौह उद्योग
झारखंड भारत के लौह अयस्क भंडार का 26% हिस्सा रखता है, जो इसे इस्पात उत्पादन का आधार बनाता है।
उत्पादन और क्षेत्र:
प्रमुख क्षेत्र: पश्चिमी सिंहभूम (नोवामुंडी, गुआ), सिंहभूम बेल्ट, कोल्हान।
उत्पाद: मिट्टी का तेल/लकड़ी जलाने वाले चूल्हे, रसोई बर्तन, दूध के डिब्बे, कलाकृतियां।
खनन: सार्वजनिक और निजी उद्यम; छोटी समुदाय-आधारित इकाइयां, विशेषकर आदिवासी समुदायों द्वारा।
रोजगार और निर्यात:
लगभग 1 लाख लोग कार्यरत।
आपूर्ति: स्थानीय इस्पात संयंत्र, पड़ोसी ओडिशा, और निजी उपभोग।
निर्यात: चीन, जापान, यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया।
GST सुधार:
लौह अयस्क पर कर: 12% से 5%।
लागत में कमी: ~6.25%, जिससे मूल्य प्रतिस्पर्धा और लाभ मार्जिन में सुधार।
प्रभाव: उद्योग विकास, रोजगार वृद्धि, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में मजबूती।
कृषि और खाद्यान्न
झारखंड की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान महत्वपूर्ण है, जो सीमांत और आदिवासी किसानों पर आधारित है।
आर्थिक योगदान:
GSDP में योगदान: 18.2% (2021-22, NCAER/नीति आयोग)।
कार्यबल: 50.4% आबादी कृषि और संबद्ध गतिविधियों में।
प्रमुख क्षेत्र: रांची, हजारीबाग, पलामू, लातेहार।
उपभोक्ता और निर्यात:
खरीदार: घरेलू मंडियां, प्रसंस्करण उद्योग, राज्य खरीद एजेंसियां, NTFP एग्रीगेटर।
निर्यात: सीमित, खनिजों और औद्योगिक वस्तुओं की तुलना में।
GST सुधार:
प्रसंस्कृत खाद्यान्न पर कर: 12% से 5%।
लागत में कमी: 3-8%, जिससे लाभप्रदता, मूल्य संवर्धन, और ग्रामीण आय में वृद्धि।
वनोपज
झारखंड का नाम "वनों की भूमि" इसके समृद्ध वन संसाधनों को दर्शाता है।
प्रमुख क्षेत्र और उत्पाद:
क्षेत्र: हजारीबाग, लातेहार, पश्चिमी सिंहभूम।
उत्पाद: लाख, तेंदू पत्ते, शहद।
रोजगार: ~20 लाख गरीब और आदिवासी श्रमिक।
उपभोक्ता और निर्यात:
खरीदार: JSFDC, स्थानीय प्रसंस्करणकर्ता, निर्माण उद्योग।
निर्यात: बांग्लादेश, अमेरिका, यूरोपीय संघ, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व।
GST सुधार:
तेंदू पत्ते: 18% से 5%।
बांस: 12% से 5%।
लागत में कमी: 6.25%-11.01%, जिससे प्रतिस्पर्धा, मार्जिन, और आय सुरक्षा में वृद्धि।
पर्यटन
झारखंड की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत इसे एक उभरता पर्यटन स्थल बनाती है।
प्रमुख आकर्षण:
स्थल: बैद्यनाथ धाम (देवघर), पारसनाथ, रजरप्पा मंदिर, जगन्नाथ मंदिर (रांची)।
विशेषताएं: पहाड़ियां, जंगल, झरने, संग्रहालय, वन्यजीव अभयारण्य।
आर्थिक योगदान:
समर्थन: छोटे होटल, होमस्टे, गाइड, परिवहन, खाद्य सेवा, हस्तशिल्प, आदिवासी समुदाय।
अनुभवात्मक पर्यटन: सांस्कृतिक और पारिस्थितिक विविधता पर केंद्रित।
GST सुधार:
होटल (₹7,500/रात्रि से कम): 12% से 5%।
प्रभाव: पर्यटन लागत में कमी, मांग में वृद्धि, और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा।
ऑटोमोबाइल एवं इंजीनियरिंग उद्योग (Automobile and Engineering Sector)
विवरण: जमशेदपुर ऑटो हब है, जहाँ इलेक्ट्रिक वाहन (EV) पर फोकस है। प्रमुख क्षेत्र: आदित्यपुर, रामगढ़।
प्रमुख इकाइयाँ: Tata Motors (जमशेदपुर), Telcon (दुमका)।
जीएसटी सुधारों का प्रभाव: छोटी कारों और दोपहिया वाहनों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% की गई। ट्रैक्टर (1800cc से नीचे) पर 12% से 5% और पार्ट्स पर 5-18%। इससे लागत में 11% की कमी, मांग वृद्धि और रोजगार सृजन होगा।
जीएसटी सुधारों से उत्पन्न चुनौतियां
राजस्व में कमी: कर स्लैब में कटौती से राज्य के राजस्व संग्रह पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
राजस्व संग्रह में गिरावट: कर दरों में कमी से जीएसटी संग्रह में कमी आई है, जिससे राज्य के राजस्व संग्रह और वित्तीय स्थिति पर असर पड़ रहा है।
राज्यों द्वारा विरोध: कई राज्य, जिनमें झारखंड भी शामिल है, ने जीएसटी सुधारों का विरोध किया है क्योंकि इससे राजस्व की हानि हुई है और क्षतिपूर्ति अवधि को बढ़ाया जाए या अतिरिक्त अनुदान दिया जाए, इसकी मांग की है।
राजस्व का नुकसान: राजस्व संग्रह में कमी के कारण राज्य को कल्याणकारी योजनाओं और अन्य विकास परियोजनाओं के लिए व्यय में कटौती करनी पड़ सकती है या उधार लेना पड़ सकता है।
हाल ही में हुए जीएसटी सुधारों के तहत , झारखंड के पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र को लाभ होगा। ₹7,500 या उससे कम प्रति रात्रि वाले होटल के कमरों पर कर की दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई है, जिससे ठहरने की लागत लगभग 6.25% कम हो गई है। दरों में इस कटौती से खाने-पीने की सेवाओं की लागत कम हो गई है, जिससे पर्यटकों के लिए यात्रा और आवास अधिक किफायती हो गए हैं और साथ ही राज्य के छोटे और मध्यम स्तर के पर्यटन संचालकों को भी कुछ राहत मिली है। झारखंड का इस्पात और भारी इंजीनियरिंग क्षेत्र, लौह उद्योग, कृषि, वनोपज, और पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तंभ हैं। GST सुधारों ने लागत में 3-11% की कमी करके इन क्षेत्रों को मजबूत किया है, जिससे उत्पादन, रोजगार, और निर्यात में वृद्धि हुई है। हालांकि, राजस्व हानि और अनुपालन जटिलताओं जैसी चुनौतियों को दूर करने के लिए केंद्र-राज्य सहयोग और बुनियादी ढांचे में निवेश आवश्यक है। इन सुधारों से MSMEs, आदिवासी समुदायों, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।
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